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Tuesday 24 May 2011

छत्तीसगढ़ या नक्सलगढ़

राजधानी रायपुर से ज्यादा दूर नहीं है आमामोर, जहां नक्सलियों ने घात लगाकर गश्त से लौटते सुरक्षा दस्ते पर हमला कर दिया.  एडिशनल एस पी और उनके १० जवान इस क्रूर हमले में शहीद हो गये.   देखा जाय तो मई का महीना और विशेषतः पिछले सप्ताह में छत्तीसगढ़ की छाती नक्सली हिंसा से कुछ ज्यादा ही दहलती रही है. आंकड़ों की बातें ना करना इसलिए उचित है कि हम, आप, प्रदेश और सभी देशवासियों का इन आंकड़ों से भले ही दर्दभरा किन्तु अच्छा खासा  परिचय है. इसी साल फ़रवरी में आमामोर के ही सरपंच को सशत्र माओवादियों ने क़त्ल कर दिया था. तभी से गरियाबंद के आसपास बड़ी वारदात की भूमिका लगभग तैयार हो गयी थी जो अंततः कल २३ मई को हकीकत बन कर हमारे सामने आई.

छत्तीसगढ़ पूरे देश में शांत, सुरम्य और द्रुत वेग से विकास पथगामी राज्य के रूप में पहचाना जाता  है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हिंसा की जिस धधकन को प्रदेश ने महसूस किया है, झेला है, वह बहुत ही खौफनाक भविष्य की तरफ इशारा करता है.

आश्चर्य की बात यह है कि जब भी कोई बड़ी वारदात नक्सलियों के द्वारा अंजाम दी जाती है, सता के गलियारों में हलचल होने लगती है. सशस्त्र और कठोर कार्यवाही की बातें उड़ने लगती हैं. सेना की सुपुर्दगी के हवाले दिए जाने लगते हैं. लेकिन जैसे ही  जंगलों और पहाड़ों में नक्सली बूटों की चाप कुछ मद्धम होती है सता का गलियारा भी उसी अनुपात में शान्ति ओढ़ कर बैठ जाता है. दुष्यंत कुमार को याद करते हुए पूछना होगा कि क्या क्या हमारे शहीद होते जवानों के होठों से निकलने वाली चीखें इतनी मद्धम है कि ए सी लगे बंद दरवाजों के पार नहीं जा पाती या इन दर्दनाक चीखों ने सता के कानों को ही इस कदर बहरा कर डाला है कि उन्हें राजधानी की ओर नज़दीक.... और नज़दीक आती नक्सली बूटों की आहट भी सुनाई नहीं पड़तीं? 

अभी माना के चीरघर में डाक्टरों के दल के द्वारा शहीदों के शवों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है लेकिन खबर छत्तीसी की नज़र में आवश्यकता शहीदों के शवों के पोस्टमार्टम से ज्यादा शाशन की सुरक्षा नीतियों के पोस्टमार्टम की है. आवश्यकता है सम्हल जाने की.... आवश्यकता है गंभीरता से सशक्त रणनीति बनाकर इस विषम समस्या का सामना करने की..... जैसा कि आवश्यकता महसूस होती है क्यों नहीं शाशन सेना के पुरजोर आक्रमण के सहारे इन निरंकुश आतताईयों को कुचल देती? क्या ऐसा करना राज्य की जनता और राज्य की सुरक्षा में रत जवानों की शहादत का निंदा से ज्यादा कारगर जवाब नहीं होगा?

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(खबर छत्तीसी की पूरी टीम की तरफ से शहीद जवानों को आदरांजली.... परमपिता उनके परिवार को यह विपदा सहने की शक्ति प्रदान करे.... आमीन.)