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Sunday 29 May 2011

शहीद की अंत्येष्टि के लिए लेना पड़ा क़र्ज़

त्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दूरस्थ अंचल आमामोरा की नक्सली हमले में 9  जवान एवं एएसपी की शहादत के बाद विगत दिनों एक और मार्मिक खबर प्रकाश में आया है | "शहीद हेमेश्वर की अंत्येष्टि के लिए लेना पड़ा क़र्ज़" गौरतलब है की इस घटना में ग्राम भैसामुडा के श्री हेमेश्वर ठाकुर भी शहीद हो गए थे, उनकी अंत्येष्टि के लिए परिजनों को ग्राम के सार्वजानिक विकास निधि से 25  % ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा क्योंकि शासन द्वारा घोषित राशी परिजनों को प्रसाशनिक लापरवाही के चलते समय पर प्राप्त नहीं हो सकी जबकि घटना के पश्चात राज्य शासन के मुखिया समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारियों  द्वारा शहीद के परिजनों को विश्वास दिलाया गया था की इस विपरीत परिस्थिति शासन प्रशासन उनके साथ है शहीद हेमेश्वर के परिवार को हरसंभव सहायता दी जाएगी मगर इस आश्वाशन की हकीकत तत्काल ही सामने आ गयी इधर सेठ साहूकारों ने भी  यह कहकर कर्ज देने से मना करने के बाद कि "अब तुम्हारे परिवार में कोई कमाने वाला नहीं रहा तुम लोग कर्ज कहाँ से चुकाओगे"  मजबूरन ग्राम के सार्वजानिक विकास निधि से 25% ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा |

अपने लाडले के शहादत के पश्चात प्रशासन की इस लापरवाही से शहीद के परिजन बेहद दुखी हैं और उनपर अब दुःख का दोहरा पहाड़ टूट पड़ा है | जहाँ उन्हें अपने लाडले हेमेश्वर का इतनी जल्दी छोड़कर चले जाने का गम खाए जा रहा है वहीं सारे परिवार को इस क़र्ज़ को चुकाने की चिंता ने भी घेर लिया है | शहीद हेमेश्वर की माँ बुधियारिन बाई के अनुसार उन्होंने अपने लाडले हेमेश्वर को भीख मांगकर पढाया लिखाया था और अब वह उन्हें इस हाल में छोड़कर चला गया | इस घटना ने सरकारी आश्वाशनों और उसकी हकीकत पर भी सवालिया निशान लगा दिया     है | 

शहीदों के प्रति शासन और प्रशासन की संवेदनहीनता भी इस घटना के माध्यम से स्पष्ट है | विचारणीय तथ्य यह है कि ऐसे संवेदनशील समय में भी प्रशासन इतना लापरवाह कैसे हो सकता है ? क्यों किसी भी शहीद को उसका जायज हक और सम्मान के  लिए उनके दुखियारे परिजनों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगवाये जाते हैं ?  जरा सोचिये कि क्या शहीदों को पुष्पचक्र अर्पित करने, सलामी देने, और शहीदों की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले...  जैसे डायलोग मारने मात्र से ही जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है ? शहीदों की चिताओं पर मेला लगना तो दूर आज तो शहीद की चिता जलाने के लिए भी परिजनों को कर्ज लेना पड़ रहा है  | वाकई इस घटना ने जनमानस को झकझोर कर रख दिया है और अब यही उम्मीद की जा रही है की इस घटना की पुनरावृत्ति कभी भी किसी भी के साथ न हो | 

खबर छत्तीसी परिवार की ओर से शहीदों को  अश्रुपूरित श्रद्धासुमन 
{गौरव शर्मा "भारतीय}
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