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Wednesday 18 July 2012

कान फोड़ रहा है डीजे व ढोल का शोर


रायपुर, 6 जुलाई। राजधानी रायपुर की जनता इन दिनों डीजे की तेज आवाज से बेहद परेशान हैं। शादी विवाह और जुलूस जलसे के दौरान बजने वाले डीजे के कानफोडू़ शोर ने लोगों का जीन मुश्किल कर दिया है। एक डीजे में तकरीबन 30 पोंगे तथा बड़े साउंड बाक्स लगे होते हैं जिससे 1000 से 10000 डेसिबल तक का शोर उत्पन्न होता है जो न केवल लोगों को चिड़चिड़ा बना रहा है बल्कि इससे बहरेपन का खतरा भी बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी देर रात तक शहर के मुख्य मार्गों पर डीजे की तेज आवाज के साथ निकलने वाले जुलूस जलसों पर भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है जिससे डीजे वालों के हौसले बुलंद हैं। इस तरह के ध्वनि प्रदूषण से सबसे बड़ा कुप्रभाव गर्भवती महिलाओं, शुगर और हार्ट के मरीजों, बुजुर्ग, नवजात शिशुओं व स्कूली बच्चों पर पड़ रहा है। गर्भवती महिलाओं को जहां इससे गर्भपात होने का खतरा होता है वहीं हार्ट के मरीजों को इस शोर से हार्ट अटैक आ सकता है। पार्टियों व बारात में 10-15 ढोल के साथ ही डीजेसिस्टम प्रदूषण के ग्राफ को बढ़ा रहा है। नाक, कान, गला विशेषज्ञ डॉ. अनुज जाऊलकर के अनुसार आजकल डीजे की तेज आवाज से लोगों में चिड़चिड़ा होने, सरदर्द तथा कम सुनने जैसी बीमारियां देखी जा रही है। इससे लोगों को हार्ट अटैक आ सकता है और यह शोर कभी-कभी जानलेवा हो सकता है। बच्चों को विशेष रूप से इस शोर से बचाने की आवश्यकता है क्योंकि बच्चों के अंग बेहद संवेदनशील होते हैं। तेज शोर से उनके सुनने की क्षमता हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। राजधानी के प्रख्यात नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. जाऊलकर के अनुसार तेजी से आवाज कान के परदे से टकराने पर बहरे होने अथवा श्रवण शक्ति कम होने का खतरा बना होता है। इसी तरह अचानक अगर कोई नवजात शिशु डीजे या पटाखों के शोर के संपर्क में आ जाए तो उसकी श्रवणशक्ति जाने की आशंका एक वयस्क की तुलना में अधिक होती है। हार्ट तथा शुगर के मरीजों को भी डीजे तथा पटाखों के शोर से खतरा होता है। अचानक इन आवाजों के संपर्क में आने से कई बार रक्तचाप बढ़ जाता है और हार्ट अटैक आने की आशंका होती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 10 डेसिबल तक ही डीजे और पटाखों में छूट है पर प्राय: 120 से 200 डेसिबल तक पटाखे फोड़े फोड़े जा रहे हैं वहीं 300 से 1000 डेसीबल तक डीजे की आवाज होती है। डीजे के साथ वाहनों में लगे पे्रशर हार्न से भी लोग खासे परेशान हैं। युवा वर्ग की पसंद बन चुके इस हार्न में कई तरह की डरावनी आवाजें निकलती है। जानवरों के भौंकने, किसी लड़की के चीखने जैसी और भी कई तरह की आवाजों वाले प्रेशर हार्न राजधानी के बाजार में बिक रहे हैं। इसमें सायरन वाले हार्न युवाओं में लोकप्रिय हैं इस तरह के हार्न से कई बार पुलिस भी चौंक जाती है और इसी का फायदा अपराधिक किस्म के लोग भी उठाने लगे हैं। पुलिस तथा प्रशासन की उदासीनता के चलते ऐसे वाहन चालकों पर कार्यवाही नहीं की जाती जिससे कई बार अप्रिय स्थिति का सामना भी लोगों को करना पड़ता है। ऐसे प्रेशर हार्न के खिलाफ अभियान चलाकर कार्यवाही करने की बात भी प्रशासन करता है पर शहरों की सड़कों पर बेखौफ घूमते वाहन प्रशासन के दावो की पोल खोलता नजर आता है। तेज रफ्तार वाहन खतरनाक प्रेशर हार्न का प्रयोग करते सरपट सड़क पर दौड़ते है इससे अगल बगल से गुजर रहे लोग किसी दुर्घटना की आशंका से ही सहम जाते हैं। बहरहाल शादी विवाह तथा जुलूस जलसों में प्रयोग होने वाले डीजे और स्पीकर पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है इसके अतिरिक्त वाहनों में लगे प्रेशर हार्नों को भी तत्काल बंद कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए। डॉ. अनुज जाऊलकर ने बताया कि वे इस संबंध में कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर इस पर रोक लगाने की मांग भी कर चुके हंै पर प्रतिबंध लगाना तो दूर डीजे वालों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई हैं। यही कारण है कि बेखौफ होकर देर रात तक लोग डीजे के कान फोड़ू शोर के साथ ध्वनि प्रदूषण करते घूम रहे हंै। इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में बात करने पर उन्होंने बताया कि जब भी इस तरह की शिकायत आती है तो अवश्य कार्यवाही की जाती है। इसके साथ ही समय समय पर अभियान चलाकर देर रात शोर शराबा करने वाले लोगों और डीजे व्यावसायी पर भी कार्यवाही की जाती है। नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता व्ही.के. शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रात 10 बजे के बाद तरह से डीजे या स्पीकर का प्रयोग नहीं किया जा सकता है अगर कहीं पर दिन में भी इस तरह डीजे तथा स्पीकर के तेज आवाज से लोगों को परेशानी हो रही है तो वे नजदीकी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। अगर थाना के द्वारा कार्यवाही नहीं की जा रही हो तो एसपी सहित अन्य उच्चाधिकारियों को भी सूचित किया जा सकता है। जिससे इसे तत्काल बंद कराकर दोषियों पर कार्यवाही की जा सके। बहरहाल डीजे के कानफोड़ू शोर से परेशान जनता अब इस पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में है। अब शासन और प्रशासन से यही अपेक्षा है कि तत्काल नगर के डीजे व्यावसायियों को निर्धारित 10 से 20 डेसिबल तक ही आवाज रखने का निर्देश दे और जो ऐसा नहीं करते उन पर तत्काल पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। इसके साथ ही वाहनों पर लगे प्रेशर हार्न पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग होने लगी है।