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Wednesday 18 July 2012


समस्याओं का उद्योग दफ्तर


रायपुर,  13 जुलाई।  बेरोजगारों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने तथा उद्योगों के संवर्धन एवं सहायता करने वाला जिला व्यापार एवं उद्योग कार्यालय इन दिनों स्टाक की कमी सहित अन्य समस्याओं से जूस रहा है। कलेक्टोरेट परिसर में स्थित इस कार्यालय का भवन भी काफी जर्जर हो चुका है। यहां के अधिकारी कर्मचारी व प्रशिक्षण सहित अन्य कार्यों के लिये आने वाले लोगों को विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इस कार्यालय द्वारा न  लघु एवं गृह उद्योगों का संवर्धन एवं प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। स्वरोजगार के इच्छुक लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। आंकड़ों से स्पष्ट है कि लोग समय-समय पर आयोजित होने वाले प्रशिक्षण शिविरों में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। वित्तीय वर्ष में इन शिविरों के पश्चात रोजगार हेतु सहायता के लिये लगभग 100 प्रतिवेदन प्राप्त हुए जिनमें से 88 लोगों को इस कार्यालय द्वारा सहयता प्रदान की गई। जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र का कार्यालय खादी और ग्रामोद्योग आयोग एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की योजना को क्रियान्वित करने का माध्यम है जिसके द्वारा युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराना मुख्य उद्देश्य है। इसके साथ ही बड़े उद्योगों को सहायता प्रदान करना आवश्यक छूट तथा अनुदान प्रदान करना मुख्य कार्य है। सूत्रों के अनुसार भारत सरकार से केंद्रीय खादी और ग्रामोद्योग आयोग एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से प्रत्येक वित्तीय वर्ष के मई माह तक योजनाएं जिला कार्यालय को प्राप्त हो जाती तथा वर्षभर  इसी के आधार पर कार्यालय अपने कार्यों को संचालित तथा योजना को क्रियान्वित करता है। इस वर्ष जुलाई माह का पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी केंद्र सककार से योजनाओं की जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है अत: अभी तक कार्यों के संचालन एवं क्रियान्वयन के संबंध में कोई कार्रवाई प्रारंभ नहीं की जा सकी है। योजनाओं के लिये सचिव स्तर पर केंद्र सरकार से चर्चा की जा रही है। अधिकारियों ने विश्वास जताया है कि इस माह के अंत तक केंद्र सरकार से स्वरोजगार तथा उद्योगों के संबंध में जानकारी प्राप्त हो जाएगी उसके बाद कार्यालय के कार्यों में गति आएगी। बहरहाल वर्तमान में जिला रोजगार एवं उद्योग केंद्र द्वारा गृह उद्योगों से संबंधित प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है। रायपुर जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक प्रवीण शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में बड़े प्रोजेक्ट के लिये राजधानी के आसपास औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन की तलाश की जा रही है। गृह एवं लघु उद्योगों के संबंध में लोगों को अधिकाधिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए राजधानी के विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने पर भी विचार किया जा रहा है। इन शिविरों में विभिन्न ऐसे उद्योगों को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है जिनमें लागत तथा श्रम कम तथा आय अधिक हो। दोनापत्तल, आचार बनाने सहित अन्य उद्योग हैं जिनके लिये किसी बड़े स्थान तथा अधिक लागत की भी आवश्यकता नहीं होती और इन वस्तुओं की बाजार में मांग अधिक होने के कारण लाभ की संभावना भी अधिक होती है। बड़े उद्योगों के लिये जमीन की तलाश को चुनौती बताते हुये महाप्रबंधक शुक्ला ने कहा कि पूंजी निवेश की दृष्टि से रायपुर प्रदेश में अग्रणी है। अधोसंरचना तथा श्रम शक्ति की उपलब्धता के चलते लोग यहां बड़े उद्योगों में निवेश करने में रूचि लेते हैं पर स्थान नहीं मिल पाना इसके लिये चुनौती है तिल्दा में 4000 करोड़ की लागत से बन रहे पावर थर्मल प्लांट को रायपुर जिला व्यापार एवं उद्योग  केंद्र की उपलब्धि बताते हुये महाप्रबंधक शुक्ल ने कहा कि स्वरोजगार चाहने वालों को सहायता तथा प्रोत्साहन इस कार्यालय की प्राथमिकता है पर यहां विभिन्न स्तरों पर सुविधाओं की कमी भी बनी हुई है जिसका निराकरण हो जाने पर इस कार्यालय द्वारा और भी अधिक लोगों तक शासन की योजनाओं का प्रसार तथा क्रियान्वयन किया जा सकेगा। बहरहाल भवन तथा स्टाफ की कमी से जूझते जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र का कार्यालय इन दिनों अपनी बदहाली की कहानी बयान कर रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि इस कार्यालय के लिये एक सुविधायुक्त भवन का निर्माण कराया जाए क्योंकि वर्तमान कार्यालय भवन जर्जर स्थिति में है।